Complaint Against District CDRC Barasat, North 24 Parganas in response to the RTI NCDRC-R-E-24-00040

Ratul Aich
8 min readApr 30, 2024

आदरणीय महोदय,

आरटीआई (NCDRC/R/E/24/00040) द्वारा प्राप्त प्रतिक्रिया के संबंध में CC/354/2022 जिला सीडीआरसी, बारासात, उत्तर 24 परगना, पश्चिम बंगाल के खिलाफ शिकायत। आपसे अनुरोध हैं की क्रमिक रूप से CC/353/2022 पर भी एक नज़र डालें। अगला हेयरिंग डेट 06 May 2024. आरटीआई (NCDRC/R/E/24/00040) कॉपी https://photos.app.goo.gl/BLCx6Qfxr5oXRHkJA

RTI NCDRC-R-E-24-00040 Response

Brief of the matter CC/354/2022. https://rat9.medium.com/how-effective-is-complaining-to-the-insurance-ombudsman-and-the-insurance-regulatory-and-ba6f0f1f6b53

Brief of the matter CC/353/2022. https://medium.com/@rat9/judicial-investigation-friendly-digital-systems-judibility-b121000a2280

CC/354/2022 के हेयरिंग डेट की सूची, 23/11/2022, 25/11/2022, 30/11/2022, 17/01/2023, 01/02/2023, 06/02/2023, 23/03/2023, 23/06/2023, 22/09/2023, 05/01/2024. अगला हेयरिंग डेट है 06 मई 2024.

मेरा एक ब्लैक एंड व्हाइट सबूत वाला (https://photos.app.goo.gl/dHDu2rPHu5cZwgZZA) बेसिक हचडीएफसी अर्गो हेल्थ इंश्योरेंस का केस कंज्यूमर कोर्ट में पिछले 1.5 साल से चल रहा है। आजकल अगर कोई फिनटेक एजेंट 15 साल की पेंशन योजना के लिए कॉल करता है तो सोचता हूँ कि, 15 साल बाद, पेंशन योजना की कंपनी ने ठीक इसी प्रकार से जानबूझकर एक डिस्प्यूट तैयार किया, और सबूत होने के बावजूद भी पैसे देने से इंकार कर दिया, तो फिर उस ढलती उम्र में 3 साल के लिए कंज्यूमर कोर्ट जाते-जाते और एडवोकेट का खर्चा देते-देते ही तबीयत ख़राब हो जाएगी! इस प्रकार कन्सूमर कोर्ट की कार्यप्रणाली कन्सूमर सेंटीमेंट को प्रभाबीत करती है।
चाहे मैं कोलकाता में रहूं या देश के किसी अन्य भाग में, कंज्यूमर कोर्ट मेरे सोशल सिक्योरिटी का अभिन्न अंग है।
समय अनुसार न्याय के निर्वहन से ही कंज्यूमर कोर्ट मेरे जैसे कंज्यूमर के लिए कारगर रहेगा।
बिजनेस की चार क्लास होती है। बिजनेस टू कस्टमर, बिजनेस टू बिजनेस, इंडस्ट्रियल, और डिफेंस। ये चार बिजनेस वर्ग महत्व के हिसाब से चार श्रेणियों में विभाजित है। बिजनेस टू कस्टमर वाले क्लास को डिफेंस क्लास जैसा महत्व तो नहीं दिया जा सकता है। बिजनेस टू कस्टमर क्लास को कड़ाई से पैमाने पर (at scale) रेगुलेट अगर नहीं किया गया तो किसी भी प्रोडक्ट और सर्विसेज मे मिलावट और प्रणालीगत हेरफेर से बढ़े पैमाने पर साधारण जनमानस आहात हो सकते है, जिसमें मैं, आप और हमारे बच्चे भी शामिल है।
मै जर्नलिज्म और विजुअल कम्युनिकेशन का छात्र हूँ, और यूजर एक्सपीरियंस प्रिंसिपल कंसलटेंट हूँ। यूजर (उपयोगकर्ता), कस्टमर, कंज्यूमर, ऑडियंस, और पेशेंट, के परिभाषा में एक दूसरे से ज्यादा भिन्नता नहीं है। यूजर एक्सपीरियंस यानि ‘उपयोगकर्ता अनुभव’, जिसका मै डिजिटल उत्पादों और सेवाओं के संबंध में मूल्यांकन करता हूँ।
ऐसा प्रतीत होता है की मेरे केस में जानबूझकर देरी की जा रही है। मुझे जितना समझ आ रहा है, उस हिसाब से तो इस प्रकार के व्यवहार को ही डिस्क्रिमिनेशन कहते है। अगर ये डिस्क्रिमिनेशन नहीं कहलायेगा तो फिर डिस्क्रिमिनेशन की परिभाषा क्या हुई?
मैंने पहले भी मेरे साथ हो रहे डिस्क्रिमिनेशन को लेकर डिस्ट्रिक्ट कंस्यूमर न्यायलय में प्रेसिडेंट को कंप्लेंट दाखिल किया है। पर मुझे कोई उत्तर नहीं दिया गया। इसीलिए इस बार मैने नेशनल कंस्यूमर फोरम को पत्र लिखना उचित समझा।
RTI (NCDRC/R/E/24/00040) में खुलासा हुआ की ओपन एंड शट केस का समाधान 3 महीने में कर दिया जाता है और इनवेस्टिगेटिव केस का समाधान 5 महीने में। मेरा संभावित ओपन एंड शट केस तो 1.5 साल से चल रहा है।
मेरी सर्वोत्तम जानकारी के अनुसार CC/354/2022 के ओपन एंड शट केस में जो तर्क रेस्पोंडेंट द्वारा दिए जा रहे है वो तो बिलकुल ही बेतुके और अलग धारा के है। जो इस केस को जानबूझकर देरी करवाने के लिए दिए जा रहे है ऐसा मुझे प्रतीत होता है।
CC/353/2022 में भी अभी तक कम्पीटेंट अथॉरिटी द्वारा कोई इन्वेस्टीगेशन नहीं करवाई गयी है।
अगर कंस्यूमर केसेस के फ़ैसले (वर्डिक्ट) यथासमय और दक्षतापूर्वक नहीं कीये जाएंगे तो मार्केट में अजिलिटी कैसे आएगी?!
बार-बार कंज्यूमर कोर्ट में जाने से, वहां बैठे धोखाधारी से त्रस्त जनता से मेरी बात होती रहती है। काफी लोगों की समस्या आंशिक रूप से टेक्नोलॉजी से जुड़ा हुआ है। न्याय में देरी और बार बार कंज्यूमर कोर्ट जाने से मेरा कैरियर बदल गया है। यूजर एक्सपीरियंस में हासिल किए ज्ञान का उपयोग करते हुए अब मैं जर्नलिज्म करियर में स्थानांतरित कर गया हूं। यह मेरे लिए पद्दोन्नति के समान है। अब यूजर एक्सपीरियंस, और टेक्नोलॉजी, के जो केस कंज्यूमर न्यायलय में आते है, उस पर ध्यान केन्द्रित कर रहा हूं।
बीएससी विजुअल कम्युनिकेशन में पत्रकारिता पढ़ा ही था, अब साथ ही साथ एमए जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन भी कर रहा हूं इग्नू से।
CC/354/2022 और CC/353/2022 केस की धीमी प्रगति और विभिन्न परेशानियों के ऊपर ब्लॉग लिखता रहता हूं और लिंक अपने रिज्यूम में प्रगतिशील केस स्टडी के तौर पर डाल दिया है। कॉरपोरेट में जहां जॉब के लिए अप्लाई करता हूं वहां लोग देख लेते हैं। एकेडेमिया में भी इन मामलों के विभिन्न परिप्रेक्ष्यों को लेकर पेपर लिखता हूं। अगर केस का फैसला सुना दिया जाएगा तो यही केस इग्नू मे असाइनमेंट जमा करने के काम भी आ जाएगा।

मैं कोई आर्थिक सलाहकार नहीं हूं जिसने मैक्रो इकोनॉमिक्स का शैक्षणिक रूप से अध्ययन किया हों। यूजर एक्सपीरियंस प्रिंसिपल कंसलटेंट होने के नाते अपने अनुभव और धारणा के हिसाब से अपनी बात रख रहा हूं। मेरे केस में हो रही देरी को अपने विवेक अनुसार वैश्विक स्तर से जोड़कर व्याख्या करने की कोशिस कर रहा हूँ। उपभोक्ता मामलों का सुचारु रूप से निवारण होता रहेगा तो बाजार में संतुलन बना रहेगा।

  1. बड़े पैमाने पर (एट स्केल) मिलावट और प्रणालीगत हेरफेर काबू में रहेगा।
  2. आकलित तौर पर व्यक्त कर रहा हूं, कंज्यूमर न्यायलय सुचारु रूप से चलता रहेगा तो मार्केट में प्रतिस्पर्धा बना रहेगा और मोनोपोली नहीं बनेगी। बिज़नेस टु कस्टमर सेगमेंट में कम्पीटीशन कमीशन ऑफ़ इंडिया के पास गुहार लगाने वाले मामलों में कमी आएगी।
  3. कंज्यूमर न्यायलय के सुचारु रूप से चलने से कोई कंपनी घोटाला करके, काफी सारा पैसा एक साथ कमाकर, उस पैसे के जोर पर अपने कॉम्पिटिशन को दबा नहीं पाएगी। या फिर स्कैम के द्वारा, ग्राहकों को टोपी पहनाकर, निवेशकों के लिए एक ही झटके में काफी सारा पैसा बनाकर, शेयर बाजार के सेंटीमेंट को अपने लाभ से प्रभावित करके, मार्केट में गलत अवधारणा तैयार करके, विदेशी निवेश और खुदरा निवेश, एकत्र नहीं कर पायेगी। इस टेक सेवी सोसायटी में टेक्नोलॉजी कंपनी द्वारा बड़े पैमाने पर मिलावट और प्रणालीगत हेरफेर आम होते जा रहे है। टेक्नोलॉजी बड़े पैमाने पर प्रोडक्ट और सर्विसेज को बनाने, लॉन्च करने, और मैनेज करने का अवसर प्रदान करती है। इसीलिए कंज्यूमर कोर्ट में क्लास एक्शन लॉ सूट का प्रोविजन भी जरूरी हो गया है। और अगर क्लास एक्शन लॉ सूट का प्रोविजन उपलब्ध है तो दोनों केसेस में पैमाने पर (एट स्केल) प्रणालीगत हेरफेर की जांच करके क्लास एक्शन लॉ सूट लगाकर कारवाही करने की मैं दरखास्त करूंगा।
  4. बाजार में प्रतिस्पर्धा बनी रहेगी, तो लोगो को रोज़गार मिलेगा, कर्मचारियों को वेतन मिलेगा, बैंकों में एक व्यक्ति की निजी बचत क्षमता, खर्च करने की क्षमता, और निवेश करने की क्षमता बढ़ेगी।
  5. बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बने रहने से सूक्ष्म और लघु उद्योगो को आगे बढ़ने का प्रोत्साहन और लेवल प्लेइंग फील्ड मिलता है। सूक्ष्म और लघु उद्योगो से सरकार को टैक्स मिलता है। गए कुछ वर्षों में न्यूज़पेपर में छपे खबरों से प्रतीत होता है कि कांग्लोमरेट और कॉर्पोरेट का टैक्स तो सरकार को आये दिन माफ़ करना पर रहा है (हेयर कट)।
  6. कंपनियों में प्रतिस्पर्धा बना रहेगा, तो कंस्यूमर प्रोडक्ट और सर्विसेज में विकल्प बढ़ेगा, इससे इनोवैशन करने का मौका मिलेगा, जिससे रोजगार के साधन बढ़ेंगे, साथ ही साथ निजी खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी, इससे मॉनेटरी वेलोसिटी बनी रहेगी, जिससे सरकार को टैक्स मिलेगा।

अगर इन मामलों में लिया गया अवधि भेदभाव जैसा प्रतीत न हो तो हमे संवैधानिक तौर पर भेदभाव की परिभाषा बदलने पर विचार करना चाहिए।
मुझे तो कभी-कभी लगता है की मामला कुछ और ही है, वरना इतनी देर नहीं होती इस मामले का निपटारा करने में।
मैं अकेला केस लड़ रहा हूं और अपनी क्षमता के अनुरूप व्यक्तिगत रूप से इतना ही कर सकता हूं।
मुझे पूरा विश्वास है कि आप इस केस को प्राइऑरिटी पर सुलझाएंगे।

Essay (CC/353/2022), The Effectiveness of Consumer Courts in the Age of Hyperconsumerism. https://rat9.medium.com/the-effectiveness-of-consumer-courts-in-the-age-of-hyperconsumerism-8f5b8b62963c

Copy of earlier email to the President of the District Consumer Dispute Redressal Commission, Barasat, North 24 Parganas, West Bengal.

On Sat, 11 Nov 2023, 10:40 ratul aich, <ratulaich@gmail.com> wrote:
Ethics Committee Ministry of Consumer Affairs State and Central Government India, and to whomsoever it may concern, FYI.

Best to my understanding, requesting Honorable President Sri Daman Prosad Biswas, District Consumer Dispute Redressal Forum Barasat, North 24 Parganas, West Bengal, India, to take cognizance of the undue favor and advantage to OP HDFC ERGO if any, due to delay in Justice of a seemingly straightforward open and shut case CC/354/2022 District CDRF Barasat, furnished with hard evidence on day one 30/11/2022 (first date 23/11/2022 postponed to 30/11/2022), as deliberate delay in justice could be a matter of latent and soft discrimination towards the plaintiff’s stratification (class, caste, region, etc.), that could be appraisingly approximated by a qualitative comparative study of the timeline of similar cases, whereas the earlier version of Consumer Dispute Redressal Commission’s handbook (manual) available on the edaakhil portal claimed that such type of digital cases will be addressed within 30 days, ever since three consecutive presidents have taken charge successively, although I acknowledge that I have disagreed to whatsoever request was made to move my case to the Lokadalat, because of the absence of compassion developed with regards to the regular bench w.r.t lawsuit, over the period of time, litigating the different aspects of the lawsuit, therefore always uphold the desire to be heard by the regular bench, that the case does run ex-parte against the O.P HDFC ERGO until 23/06/2023 and only on 22/09/2023 the O.P HDFC ERGO as the Complainant files a petition under order 07 rule 11 (d) C.P.C. even though the hard evidence has been furnished by the plaintiff a long back. What stats do we have in the public domain that calculate the burden of the cost incurred by the Judicial and Quasi-Judicial systems for extending the hearing dates? Should the OP HDFC ERGO be recovered with a cost by the CDRC for the ex-parte causing a delay in justice and adding to the exhaustion woe harassing the plaintiff? List of the hearing dates, 23/11/2022, 25/11/2022, 30/11/2022, 17/01/2023, 01/02/2023, 06/02/2023, 23/03/2023, 23/06/2023, 22/09/2023. The next date of hearing is 05 Jan 2024.

Brief of the matter.
https://rat9.medium.com/how-effective-is-complaining-to-the-insurance-ombudsman-and-the-insurance-regulatory-and-ba6f0f1f6b53

Regards,
Ratul Aich

Email Details.
from: ratul aich <ratulaich@gmail.com>
to: dr.ncdrc@gov.in, confo-pn-wb@nic.in, ncdrc@nic.in
cc: confo-rh-wb@gov.in
date: Apr 21, 2024, 9:14 AM
subject: Re: RTI for Suspected Discrimination with Plaintiff and undue favor to HDFC ERGO by Delay in Justice of CC/354/2022 CDRC Barasat

Indian Post Registred Letter Details.
RW409734441IN
Sent on 22 April 2024, Received on 26 April 2024 at 15:41:55

First in the series is, How effective is complaining to the Insurance Ombudsman and the Insurance Regulatory and Development Authority of India (IRDAI)? (Link)

Previous in the series is RTI Response NCDRC-R-E-24–00040 of Case CC-354–2022. (Link)

Next in the series is,

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Ratul Aich

UX Principal Consultant, BSc Viscom, Diploma Animation. Disruptive blogging, Erotica, Drama, Slice of Life Film Screenwriting. https://LinkedIn.com/in/ratulaich